
कोरोना टाइम्स के मुख्य संपादक एवं सीईओ, डाक्टर सक्कल प्रसाद भारती से साक्षात्कार वार्ता के लिये “नेशन वांटेड टू नो” के मुख्य संवाददाता श्री दिगदिगंत ओझा की कोरोना टाइम्स की कार्यालय सचिव सुश्री चमेली श्रीवास्तव से हुआ वास्तविक संवाद
कोरोना टाइम्स के प्रकाशन के दूसरे ही दिन स्थानीय और राष्ट्रीय टेलिविज़न चैनलों के फ़ोन आने लगे । सबका आग्रह एक सा ही था।सभी डा सक्कल से साक्षात्कार वार्ता करना चाहते थे। हमारी संयोजक टीम अभी इस पर विचार कर ही रही थी थी कि किसका अनुरोध स्वीकारें और किसका नकारें कि दोपहर हो गई और टीम के सब सदस्य अपने अपने घरों में बीवियों या शौहरों के छोड़े काम पूरे कर रोज़ की तरह भोजन कर विश्राम करने लगे ।
आप जानते ही हैं कि सोशल डिसटेंसिग के नाते हम सारा का काम ज़ूम मीटिंग द्वारा करते हैं । ज़ूम वाले आधे घंटे की बकबक फ़्री करने देते हैं , उससे ज्यादा समय बकझक हो जाये तो पैसा माँगते हैं। पैसा खर्च न हो इसलिये डाक्टर सक्कल के आदेशानुसार हमारी बतकही हर आधे घंटे के बाद पांच मिनट के लिये बंद करा दी जाती है।पाँच मिनट के विराम के बाद झूम कर ज़ूम फिर चला दिया जाता है ।यह सिलसिला दिन रात या जब तक ज़रूरी हो चलता रहता है।
तो हुआ यों कि कोरोना टाइम्स अंक १ के सफल प्रकाशन के दूसरे दिन जब हम सब भोजनोपरान्त तंद्रा में अपने अपने घरों में आराम कर रहे थे, तब वह हुआ जो हमने सपने में भी न सोचा था ! दोपहर बाद एक बार फिर फ़ोन घनघनाया।
हमारी कार्यालय सचिव कुमारी चमेली श्रीवास्तव ने फ़ोन उठाया । उन्हें क्या पता कि फ़ोन कोरोना टाइम्स के प्रकाशन के दूसरे ही दिन इतने बड़े चैनल “नेशन वांटेड टू नो” का मुख्य संवाददाता फ़ोन पर कोरोना टाइम्स से संपर्क कर रहा था।

- हेलो
- हेल्लो
- नमस्कार मैं कोरोना टाइम्स से चमेली बोल रही हूं और आप
- मैं “नेशन वांटेड टू नो” चैनल का मुख्य संवाददाता दिगदिगंत ओझा बोल रहा हूं। क्या डाक्टर सक्कल से बात हो सकती है
चमेली एकदम हर्षमिश्रित, भय के भावों के साथ अपने भविष्य के प्रति भी सचेत हो गईं।
हर्ष इस बात का वह दिगदिंगत जी से सीधे बात कर रही थीं। कई बार संपर्क किया था चमेली ने अन्य चैनलों के साथ “नेशन वांटेड टू नो” में भी नौकरी पाने की पर हर बार उसे निराशा ही मिली थी और आज वह दिगदिगंत जी से सीधे बात कर रही थीं ।
भय इस बात का कि यदि किसी कारणवश वह दिगदिगंत जी से ठीक से बात न कर पाई तो हंसी का पात्र तो बनेंगी ही पर हो सकता है नौकरी से भी हाथ धोना पड़े। डाक्टर सक्कल वैसे बोलते तो मीठा है और चमेली से तो विशेष चासनीदार मीठा , पर डाक्टर सक्कल की छवि नौकरी के मामले में अपनी टीम के लोगों से व्यवहार करते समय बड़े खर्राट प्रशासनिक की है।
भविष्य के बारे में चमेली इसलिये सोचने लगी कि यदि कोरोना टाइम्स की नौकरी जाती है या वह स्वयं छोड़ देने की स्थिति आ जाती है तो दिगदिगंत जी के संपर्क से “नेशन वांटेड टू नो” में शायद नौकरी मिल जाय ।
ख़ैर वाणी और भावों पर किसी तरह रोक लगा चमेली मधुर स्वर में बोली,
“ दिगदिगंत जी अभी तो डाक्टर साहब बर्तन माँजने के बाद घर पर खाना खा कर सो रहे हैं। क्या सेवा कर सकती हूँ मैं आप की ।”
- हम नेशन वांटेड टू नो के लिये डाक्टर साहब का सात्क्षकार वार्ता करना चाहते हैं
- कब अभी या शाम को ?
- अरे अभी कैसे, भई अभी तो अपुन आप से मने बस पूछ रहे हैं कि डाक्टर साहब को किस दिन और कब सुविधा रहेगी इस साक्षात्कार वार्ता के लिये
- मैंने इस लिये अभी या शाम को कहा क्योंकि आपके सीईओ तो पहले से ही पुलिस थाने में दिन के २४ में से १०.१२ घंटे बिता रहे हैं फिर आप का नंबर कब आयेगा , राम जाने, मने बस पूछ ही लिया ।
चमेली को तुरंत अहसास हो गया कि वह दिगदिगंत जी की नक़ल में उनके जैसा “मने बस पूछ” बोल बैठी । पर तीर तो कमान को छोड़ चला था। चमेली पैदाइशी आशावान रही है और पोस्ट ग्रैजुयेशन में पाजिटिव सायकालोजी के पेपर में अच्छे नंबर से पास होने के नाते आत्मविश्वास से भरपूर रहती है ।
तुरंत बात बदल कर वह बोली “हम अभी ही डाक्टर साहब की डायरी देख साक्षात्कार वार्ता के लिये समय और दिन निश्चित कर लेते है । आप को क्या सुविधाजनक रहेगा। मैं ही उनका हर दिन का कार्यक्रम मीटिंग आदि का समय निश्चित करती हूँ।”
“पर आप के सीईओ रौरव तुलसियानी जी कैसे हैं ? कल तो पुलिस ने उन्हें उनके रात नौ बजे के ठीक आधा घंटा पहले पुलिस स्टेशन से बाहर जाने दिया और वह अपने रात नौ बजे वाले कार्यक्रम को प्रसारित कर सके । मुझे तो लगता था कि कल रात नौ बजे वाला कार्यक्रम दिगदिगंत जी आप करेंगे।”
“ जी मुझे भी ऐसा ही लग रहा था पर पुलिस ने रौरव को जाने दिया ।एक समय तो लग रहा था उनकी जगह मुझे कहा जायेगा एंकरिंग करने को । पर लगभग बारह घंटे की पूछताछ के बाद भी पट्ठा एक दम थका न था। तुरंत मुँह धो कर कपड़े बदल आ गया शो पर । खूब बोला । दूसरों को तो बोलने का मौक़ा तो वैसे ही बहुत कम देता है पर कल तो पूछो मत। बस छा गया रौरव तुलसियानी “
“दिगदिगंत जी एक बात पूछूं”
“ कहिये वैसे मैं हूं “नेशन वांटेड टू नो” का मुख्य संवाददाता , प्रश्न मुझे पूछने चाहिये । पर अभी टेलीविजन केमरा नहीं है रिकार्डिंग नहीं हो रही है तो ठीक है आप ही पूछ लीजिये “
“आपके चैनेल का नाम “नेशन वांटेड टू नो” क्यों पड़ा ? “
“ मोहतरमा बड़ा अच्छा सवाल पूछा आपने । एनडीटीवी से शुरू हुई थी रौरव की प्रोफेशनल ज़िंदगी टीवी जर्नलिज़्म के क्षेत्र । फिर टाइम्सनाऊ । “नेशन वांटेड टू नो” के गठन से पहले रौरव टाइम्सनाऊ पर चीख चीख कर अपने कार्यक्रम में भाग लेने वालों से पूछा करते थे “नेशन वांटस टू नो” । जब नया चैनल बना तब उसी की याद में वांटस का वांटेड कर दिया गया ।बड़ा राष्ट्रवादी है रौरव । अपने लिये नहीं नेशन के लिये करता है जो कुछ करता है रौरव। कुछ कुछ कोरोना टाइम्स जैसा पर उल्टा । रौरव नेशन के लिये करता है आप अपने लिये । रौरव अपने लिये कुछ नहीं करता।
दिगदिगंत बोलने के मूड में आ गये थे । प्रश्न करने के बदले उत्तर देने का मौक़ा वह भी चमेली जैसी वाचाल चपल विदुषी के प्रश्न का उत्तर देने में उन्हें आनंद आ रहा था । वह आगे बोले;
“जानती हो चमेली क्यों रौरव ने कहा मुझसे डाक्टर सक्कल का इंटरव्यू लेने को ? पुलिस थाने से लौटने के बाद कल रात नौ बजे प्राइम टाइम का शो शुरु करने के पहले बाथ रूम में अपने बिंखरे बालों को बनाते हुये रौरव ने मुझे बाथरूम के अंदर आते देखा । बोला दिगंत, यार यह कौन सी नई समाचार संस्था कल शुरू हुई, कोरोना टाइम्स के नाम से । डाक्टर सक्कल मेरे सीनियर रहे हैं । हर किसी से जात पूछते हैं । मैंने जात बताने से मना कर दिया बस उस दिन से नाराज़ रहने लगे । बहुत दिनों से संपर्क नहीं है। उनका इंटरव्यू ले कर पता करो आज के कलजुग में अपने लिये कौन समाचार संस्था चलाता है। ग्राहकों से कोई पैसा क्यों नहीं ले रहे । कहीं से फ़ंडिंग मिली है क्या ? पता तो करो।”
चमेली ने डाक्टर सक्कल के इंटरव्यू का समय और दिन दिगदिगंत जी को बता दिया है। जिस दिन भी यह इंटरव्यू होगा उसी दिन हम कोरोना टाइम्स के विशेषांक द्वारा हम आप सबसे से साझा कर देंगे ।
जिस सुधी पाठक ने यहाँ तक पढ़ा है वह यहाँ उँगली करें । हो सकता है आप उन कुछ चुने हुये पाठकों में से एक हों जिन्हें पुरस्कृत किया जाना है ।
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