
बरसात बंदुआरी मे
भीगी मिट्टी की महक…
भीगी मिट्टी की महक प्यास बढ़ा देती है
दर्द बरसात की बूँदों में बसा करता है
– मरग़ूब अली
दूर तक छाए थे बादल…
दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था
– क़तील शिफ़ाई
बर्फ़बारी टोरंटो मे
ठंडी ये हवा के सर्द झोंके
ये नसीम ठंडी ठंडी ये हवा के सर्द झोंके
तुझे दे रहे हैं लोरी मिरे ग़म-गुसार सो जा
– सुरूर जहानाबादी
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेश में वो किससे रजाई मांगे
-राहत इंदौरी
- दाना या भूसा ?
- कुछ इधर की कुछ उधर की कुछ फिरकी
- कहानी पुरानी लकड़हारे की, संदर्भ नया रश्मिकांत नागर द्वारा !
- Birds in our backyard-II
- आँख मिचौली; कथा पुरानी, संदर्भ नया
Facebook Comments Box
किसी ने वादीयों से/कुछ कहा था/तभी तो सर्द हवाएं उनकी/आ गयीं वृक्ष मंदिर/आँचल मे भरने/भीगी मिट्टी की खुशबू/अपने प्रियतम के लिए।—गिरीश
धन्यवाद 🙏🏼🙏🏼