बरसात और बर्फ़बारी

Photo of a painting by Dr (Mrs) Rama Aneja)

बरसात बंदुआरी मे

भीगी मिट्टी की महक…

भीगी मिट्टी की महक प्यास बढ़ा देती है
दर्द बरसात की बूँदों में बसा करता है
– मरग़ूब अली

दूर तक छाए थे बादल…

दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था
– क़तील शिफ़ाई

बर्फ़बारी टोरंटो मे

ठंडी ये हवा के सर्द झोंके

ये नसीम ठंडी ठंडी ये हवा के सर्द झोंके
तुझे दे रहे हैं लोरी मिरे ग़म-गुसार सो जा
– सुरूर जहानाबादी

ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेश में वो किससे रजाई मांगे
-राहत इंदौरी


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Published by Vrikshamandir

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2 thoughts on “बरसात और बर्फ़बारी

  1. किसी ने वादीयों से/कुछ कहा था/तभी तो सर्द हवाएं उनकी/आ गयीं वृक्ष मंदिर/आँचल मे भरने/भीगी मिट्टी की खुशबू/अपने प्रियतम के लिए।—गिरीश

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