पर यह उदासी कहाँ से आती है ?
न जाने क्यों
आज मैं उदास हूँ
ख़ुशी, गम, डर, उदासी
उभर कर छा जाते हैं
बदलियों, खिलखिलाती धूप, मंद पवन, आँधी, वसंत पतझड़, बारिश की तरह
मुझसे बिना पूछे
आज की उदासी है
बरसने के पहले वाले उमस भरे बादलों जैसी
होती है ख़ुशी
जब इच्छित की होती है प्राप्ति
डाकिये की दी घर से आई चिट्ठी की तरह
ग़म होता है प्रिय के बिछड़ने पर
नदी मे बह रही नाव की तरह
डर होता है ज्ञात, अज्ञात और
अकस्मात से भी
पर यह उदासी कहाँ से आती है
जिजीविषा और आकांक्षा की बैसाखी पर चलती रहती है ज़िंदगी
9-10-2021
My write up Dr Chothani is hanging on the VrikshaaMandir