न थी
न है
न होगी
आदर्श दुनिया
पर तलाश है
बहुतों को
दुनिया की जो हो आदर्श
पर आदर्श
तो बुलबुले है
बहती जीवन धारा के
मानवता के विकास प्रवाह के
उनका
अस्तित्व
वास्तव में
कुछ देर का ही होता है
पर वह समय लगता बहुत लंबा है
अब भी जीवित है परिकल्पना राम राज्य की
आदर्श जो हमें मिलते हैं वेदों से उपनिषदों की रृचाओं से महात्मा बुद्ध,
प्रभु ईशू , पैग़म्बर मुहम्मद से मिली शिक्षाओं से
अभी भी ज़िंदा है
ज़िंदा रहेंगे
क्रांति की कोख से जन्मा रक्त रंजित साम्यवाद का प्रभावी विस्तार अब भले ही संकुचित हो रहा हो
पर वही आदर्श समाजवाद, सहिष्णुतावाद, विवाद, अपवाद, वितंडा वाद आदि अन्य रूप धर अब भी ज़िंदा है
आदर्श हैं
आत्मक्रंदन
कभी मरते नहीं
बहते हैं
पुनर्जन्म नये रूप ले
जीवन धारा मानवता के प्रवाह में
- अनर्गल, आशय, प्रकृति और पाखंड
- घर रहेंगे, हमीं उनमें रह न पाएँगे
- Life has its own “life” ; A nostalgic visit to NDDB Anand in 2008
- आपबीती और अर्थशास्त्र।
- Amazing Amroha of Arvind -1