RK Nagar Nagar had sent this article to me several months ago. Of late, I have not been paying much attention to Vrikshamandir. Since the beginning of this year, I have had some health issues. Now that the situation is fast normalising, I thought, what better way to start regular posting on Vrikshamandir than posting … Continue reading Poverty and Public Distribution System; Part – I
Month: April 2022
दाना या भूसा ?
Photo by Antony Trivet on Pexels.com मैं कृषि स्नातक की पढ़ाई कर रहा था। बीएससी ( कृषि) का दूसरा वर्ष था और समेस्टेर सिस्टम लागू होने से पहले, वार्षिक परीक्षा वाले सिस्टम का आख़िरी वर्ष। हमारे सभी शिक्षक दिल से चाहते थे की हम सब मन लगा कर पढ़ाईं करें और अच्छे अंकों से परीक्षा … Continue reading दाना या भूसा ?
कुछ इधर की कुछ उधर की कुछ फिरकी
यह लेख अपने आप मे एक लेख नही वरन एक पत्र से निकली सूझ का नतीजा है । पत्र तो लिखा गया। जिसको भेजना था उन्हे भेज भी दिया गया । पर मन मे यह विचार उठा क्यो न उस पत्र को एक लेख मे परिवर्तित किया जाय। जिन आदरणीय महाशय को वह पत्र लिखा … Continue reading कुछ इधर की कुछ उधर की कुछ फिरकी
कहानी पुरानी लकड़हारे की, संदर्भ नया रश्मिकांत नागर द्वारा !
लकड़हारे की यह पुरानी कहानी तो आपने अवश्य सुनी या पढ़ी होगी। जंगल में गहरी नदी किनारे लकड़ी काटते समय हाथ से फिसल कर उसकी कुल्हाड़ी नदी में जा गिरी। जीवन यापन का एकमात्र साधन खोने से दुःखी लकड़हारा गहन चिंता में डूब कर जब रोने लगा तब उसके सामने जलदेवी प्रकट हुई, उसे पहले सोने, फिर चाँदी की कुल्हाड़ियों का प्रलोभन दिया और अंत में, लकड़हारे की ईमानदारी से प्रसन्न होकर, उसकी लोहे की कुल्हाड़ी के साथ सोने चाँदी की कुल्हाड़ियों का पुरस्कार देकर उसे हमेशा के लिए दरिद्रता से बाहर निकाल दिया। लकड़हारे ने अपना शेष सम्पन्न जीवन, सपरिवार संतोष से जिया।