
कौन है सुनता यहाँ
भीड मे हैं सब,कौन है सुनता यहाँ
अपने कहे क़िस्सों का तार बुनते यहाँ,
मै सही, मेरी बात ही सही,
जी हां, हां जी वालों को ही लोग सुनते यहाँ।
सिसकती साँसें, तिलमिलाती धड़कनें
अनकही जो रह गईं, उन्हें कौन गिनता यहाँ,
मौन बन सहे, उफ़ भी जो न कर सकी
आँसू बहाती जिन्दगी को रूँधते देखा यहाँ।
करें जुल्म औ सितम, बेलौस हो सरफिरे
कौन जिये,कौन मरे,करे कौन क्यों, चिंता यहाँ,
ठिठुरती गमगीन जिन्दगी की अंधेरी तनहाइयों तले
देखे मुफलिस शराबी नशे में झूमते यहाँ।
बस कर खुदा,’हेम’ ने देख ली तेरी खुदाई
रब है,रहनुमा है तू,आख़िर क्यूं, तू उन्हें न चूमता यहाँ।
डाक्टर हेमेन्द्र जोशी
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