Dr HB Joshi shares his views on the why, what and how of Vrikshamandir

Dr HB JoshiDr.Hemendra Joshi – NDDB/ SAGP 1977-2000, Banas Dairy / 2001-2012 Thank you Dr Joshi for your kinds words about Vrikshamandir. I had written a blog in 2020 titled “Why Vrikshamandir”? I quote below the last paragraph of that blog.One can read the full text by clicking this link “Why Vrikshamandir” “I decided to … Continue reading Dr HB Joshi shares his views on the why, what and how of Vrikshamandir

ईशोपनिषद

ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते । पूर्ण है वह पूर्ण है यह, उदित होता है पूर्ण से पूर्ण ही पूर्ण से पूर्ण को निकालने के बाद शेष रहता है पूर्ण ही । ईशावास्यमिदं सर्वं यत्किंच जगत्यां जगत्. तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्य स्विध्दनम्..1.. जो भी है इस जग में गतिहीन या गतिमान, बसा है इन सब में सर्वव्यापी भगवान. सुख भोगो कर के इन सब का त्याग, मत करो पराये धन से अनुराग..। कुर्वन्नेवेह कर्माणि जिजीविषेच्छतं समाः. एवं … Continue reading ईशोपनिषद

पृथ्वी सौंदर्य – पृथ्वी प्रकोप

डाक्टर शैलेंद्र पालवियाभूतपूर्व एनडीडीबिएन वर्तमान में प्रोफ़ेसर, एमआइएस, लाँग आइलैंड युनिवर्सिटी कल खेल में हम हों न हों नीला आकाश रहेगा सदा झिलमिल सितारे रहेंगे सदा सूरज जग रोशन करेगा सदा जलचर जल क्रीड़ा करेंगे सदा नभचर कलरव करेंगे सदा थलचरों की नाद गूंजेगी सदा कल खेल में हम हों न हों बाढ़ आँधी नाश … Continue reading पृथ्वी सौंदर्य – पृथ्वी प्रकोप