कुछ दोहे,चौपाइयाँ,शेर और लघु कविताएँ (औरों की लिखी या कही)

अगर आप अपने मनपसंद दोहे,चौपाइयाँ,शेर और लघु कविताएँ मुझसे साझा करें तो मैं यहाँ आपके नाम के साथ प्रकाशित कर सकूँगा । यदि आप अनाम रह कर अपने मनपसंद दोहे,चौपाइयाँ,शेर और लघु कविताएँ मुझसे साझा करना चाहे तो मैं वैसा ही करूँगा । इस संबंध में आप मुझसे sk@vrikshamandir.com संपर्क कर सकते हैं। टुकडे टुकडे … Continue reading कुछ दोहे,चौपाइयाँ,शेर और लघु कविताएँ (औरों की लिखी या कही)

पढ़े लिखे अनपढ़,कुपढ, और सुपढ़

अरे अनपढ़पढ लिखपर पढ़ लिख कर मत बन कुपढ़और तू कुपढऔर पढ़और पढ़ लिख कर बन सुपढ़पर पढ़े लिखे होने का मत कर गुमान हे सुपढ़मान भी लें कि तू है सुपढ़मत करअपने पढ़े लिखे होने का गुमाननही तो जाना जायेगाग़रूर की नदी मे में डूबता उतराताएक बुद्धिजीवी संस्कार विहीन इंसान !

सभी कथित कवियों से माज़रत

मेरे मित्र मनीष भारतीय ने अपने फ़ेसबुक पेज पर लिखा “सभी कथित कवियों से माजरत कभी कभी कविताई मुझे मानसिक बीमारी लगती है खासतौर पर जब कोई हर विषय पर चेंप दे” इस संबंध में मनोज झा जी की राज्यसभा में ओम प्रकाश वाल्मीकि जी की कविता पढ़ना क़ाबिले गौर है। झा साहब ने कविता … Continue reading सभी कथित कवियों से माज़रत

पढ़ा लिखा और अनपढ़

“अनपढ़” बहुत घमंडी है। “पढ़े लिखे” को केवल एक ही बात का घमंड है । वह है “अनपढ़” से ज़्यादा बुद्धिमान होने का। “पढ़ा लिखा अनपढ़” और “अनपढ़ पढ़ा लिखा” कनफुजिआस्टिक स्टेट में विचरण कर रहा है मस्त है !