Tag: परंपरा
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आँख मिचौली; कथा पुरानी, संदर्भ नया
आप में से बहुतों ने शायद यह कथा पहले भी सुनी या पढ़ी हो । मैंने इस कथा को एक नए संदर्भ में प्रस्तुत करने का दुस्साहस किया है। अगर पसंद आये, तो आगे बढ़ाइयेगा अन्यथा आप ने तो पढ़ ही ली है! क्योंकि कथा युगों पुरानी है, स्वाभाविक है कि इसका प्रारम्भ वैकुंठ से…
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अनुभूति -9
हरिद्वार मे जहां मै रहता हू , वह इलाका अभी भी पुराने जमाने मुहल्ले की याद दिलाती है। आधुनिक मकान और होटल तो हैं,सकरी गलियां भी है। छोटी छोटी किराना की दुकानें हैं ।लोग एक दूसरे को पहले नाम से या फलां का बेटा, फलां गली के तीसरे मकान के फलां का भतीजा है के…
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भारतीयता की तलाश और कुबेरनाथ राय ‹ मेरा गाँव मेरा देश ‹ Reader — WordPress.com
अंग्रेज़ी की रंगरेज़ी में कहें तो लगता है कि “आइडिया आफ इंडिया” पर बहसबजी और गंभीर तर्क, कुतर्क करने वाले आधुनिक मनीषियों ने कुबेर नाथ राय को शायद पढ़ा नहीं है। यदि पढ़ा भी है तो उनकी दृष्टि से इस समय के सबसे ज्वलंत आइडेनटिटी या पहचान परक राजनीति के युग में कुबेर नाथ राय…