भगत सिंह, बाबा साहेब अंबेडकर और महात्मा गांधी

इस ब्लाग का लेखन मनीष भारतीय की फ़ेसबुक पर लिखी टिप्पणी से प्रेरित हैमैंने उनके लिखे कई पैरा शब्दशः यहाँ उद्धरित किये हैं। इस लिये हम साझा लेखक हैं ।मनीष से मेरा परिचय,चार या पाँच साल पहले - ठीक से याद नहीं - संभव हुआ, श्री विजय महाजन के सौजन्य से।बहु आयामी व्यक्तित्व के धनी … Continue reading भगत सिंह, बाबा साहेब अंबेडकर और महात्मा गांधी

The Metaphysics of ONE ; “एक” की तत्त्वमीमांसा

My friend on X (formerly Twitter) goes by the handle @Sacred. About a month ago I had an opportunity to listen to him speak in an X space. I was a listener in that space while he was the speaker. There was something about his voice and the content of his speech that captivated my … Continue reading The Metaphysics of ONE ; “एक” की तत्त्वमीमांसा

संदेश

शैलेंद्र का संदेश एनडीडीबी, आणंद, मेन गेट 1970 (फ़ोटो श्री जी राजन के सौजन्य से ) श्री अमरीक सिंह का निमंत्रण व्हाट्सएप पर कल मिला । उनकी इच्छा थी कि मै एनडीडीबी के उत्तर भारत में रहने वाले भूतपूर्व, पर वास्तव में “अभूतपूर्व”, कर्मचारियों के स्नेह मिलन के अवसर पर जो 4 नवंबर 2023 को … Continue reading संदेश

नागर को अचानक एक पुरानी कविता याद आई

लोग उन्हें याद करें या न करें, उनके बारे मे बातें करें चाहे न करें ।माइक एनडीडीबी की नींव के मज़बूत पत्थर थे। आज भी हैं । है तुम्हें किस बात का डर,रखो विश्वास इंजीनियरिंग पर,देंगे मीठी ख़ुशबू दूध और पनीर,पूरा होगा विज्ञान, डेयरियां बन जायेंगीं परफ़्यूमरियां माइक डॉ. माइकल हाल्स, एक विदेशी होने के … Continue reading नागर को अचानक एक पुरानी कविता याद आई

कुछ दोहे,चौपाइयाँ,शेर और लघु कविताएँ (औरों की लिखी या कही)

अगर आप अपने मनपसंद दोहे,चौपाइयाँ,शेर और लघु कविताएँ मुझसे साझा करें तो मैं यहाँ आपके नाम के साथ प्रकाशित कर सकूँगा । यदि आप अनाम रह कर अपने मनपसंद दोहे,चौपाइयाँ,शेर और लघु कविताएँ मुझसे साझा करना चाहे तो मैं वैसा ही करूँगा । इस संबंध में आप मुझसे sk@vrikshamandir.com संपर्क कर सकते हैं। टुकडे टुकडे … Continue reading कुछ दोहे,चौपाइयाँ,शेर और लघु कविताएँ (औरों की लिखी या कही)

पढ़े लिखे अनपढ़,कुपढ, और सुपढ़

अरे अनपढ़पढ लिखपर पढ़ लिख कर मत बन कुपढ़और तू कुपढऔर पढ़और पढ़ लिख कर बन सुपढ़पर पढ़े लिखे होने का मत कर गुमान हे सुपढ़मान भी लें कि तू है सुपढ़मत करअपने पढ़े लिखे होने का गुमाननही तो जाना जायेगाग़रूर की नदी मे में डूबता उतराताएक बुद्धिजीवी संस्कार विहीन इंसान !

सभी कथित कवियों से माज़रत

मेरे मित्र मनीष भारतीय ने अपने फ़ेसबुक पेज पर लिखा “सभी कथित कवियों से माजरत कभी कभी कविताई मुझे मानसिक बीमारी लगती है खासतौर पर जब कोई हर विषय पर चेंप दे” इस संबंध में मनोज झा जी की राज्यसभा में ओम प्रकाश वाल्मीकि जी की कविता पढ़ना क़ाबिले गौर है। झा साहब ने कविता … Continue reading सभी कथित कवियों से माज़रत

पढ़ा लिखा और अनपढ़

“अनपढ़” बहुत घमंडी है। “पढ़े लिखे” को केवल एक ही बात का घमंड है । वह है “अनपढ़” से ज़्यादा बुद्धिमान होने का। “पढ़ा लिखा अनपढ़” और “अनपढ़ पढ़ा लिखा” कनफुजिआस्टिक स्टेट में विचरण कर रहा है मस्त है !

Understanding Information: The Challenge in the Age of the Internet and Technology

Photo by LJ on Pexels.com AI + This blog has been written almost entirely by AI+ In today’s era of the internet and technology, information is readily available to us. Everyone can access information through their phones, computers, or other electronic devices. However, it has become increasingly challenging to make sense of information based on … Continue reading Understanding Information: The Challenge in the Age of the Internet and Technology