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अनर्गल, आशय, प्रकृति और पाखंड
कहते हैं , “जहां न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि “ । अर्थपूर्ण यानि सीरियस कविता लिखने वाले कवि ने जो जब लिखा होगा उसका अर्थ कवि के मन में क्या रहा होगा यह मेरे जैसे साधारण मानवी के लिये केवल क़यास का विषय है। अपनी समझ को साझा करने का यह प्रयास मेरे ब्लाग…
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घर रहेंगे, हमीं उनमें रह न पाएँगे
घर रहेंगे, हमीं उनमें रह न पाएँगे,समय होगा, हम अचानक बीत जाएँगे।*अनर्गल ज़िंदगी ढोते किसी दिन हम,एक आशय तक पहुँच सहसा बहुत थक जाएँगे। मृत्यु होगी खड़ी सम्मुख राह रोके,हम जगेंगे यह विविधता, स्वप्न, खो के।और चलते भीड़ में कंधे रगड़ कर हम,अचानक जा रहे होंगे कहीं सदियों अलग होके। प्रकृति और पाखंड के ये…
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Life has its own “life” ; A nostalgic visit to NDDB Anand in 2008
Approximately 3.8 billion years ago, life made its grand entrance on Earth, marking the beginning of a remarkable journey. This momentous occasion occurred a staggering 0.7 billion years after the formation of our planet. From that point on, life has flourished and evolved, shaping the very fabric of our world. No doubt the life of…
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आपबीती और अर्थशास्त्र।
Rashmi Kant Nagar अर्थशास्त्र भी कोई पढ़ता है यार? यानी कोई अपनी मर्ज़ी से इस विषय का चुनाव करे? मेरी समझ में बिरले ही ऐसा करते हैं। ज़्यादातर तो मेरे जैसे होते हैं, जिन पर अकारण या यूँ कहिये, परिस्थितियाँ ऐसे नीरस विषय को थोप देती हैं। सच कह रहा हूँ, मेरे साथ कुछ ऐसा…
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कलजुग में लोग बड़े बेदर्द , बेमुरव्वत और बेहूदा हो जाते हैं या कलजुग उनसे करवाता है
मेरे मित्र श्री मनीष भारतीय ने लगभग ग्यारह साल पहले 3 नवंबर 2011 को अपनी फ़ेसबुक वाल पर यह मेसेज पोस्ट किया था। बारह साल बीत गये 2023 आते आते अन्ना, केजरी और भूषण अलग थलग हो गये।लोक पाल जी का बिल न जाने कौन से बिलों में घुसता निकलता निकलता 2013 मे पार्लियामेंट मे…