
इंटरनेट की दुनिया अलग तो लगती है पर बहुत कुछ अपनी दुनिया जैसी ही है। आन लाइन बकवास, बतकुच्चन, बड़बोली, झूठ, फ़रेब, आदि तो हैं ही पर बहुत सा अच्छी चीजें भी है। दुनिया भर का ज्ञान भरा पड़ा है। बस कौशल चाहिये सही जगह पर पहुँचने का ।वैसे ही जैसे अपनी दुनिया में ।
विनीता से मै मिला इंटरनेट पर । विनीता , मेरे मित्र और सहकर्मी डाक्टर एस पी मित्तल की बिटिया ।कविता लिखती है ।अंग्रेज़ी मे । फ़ेसबुक पर संवादों के आदान प्रदान के बाद मुझे उसकी यह कविता Immigrants बहुत अच्छी लगी, दिल को छू गई। मैंने हिंदी अनुवाद किया तो विनीता को मेरा हिंदी अनुवाद अच्छा लगा। यह बात 26 मई की है। डाक्टर मित्तल और श्रीमती मित्तल अब दुनिया में न रहे । इतने दिनो सालों बाद डाक्टर मित्तल की विनीता से संपर्क हुआ । धन्यवाद इंटरनेट का। मई महीने में मेरी माता जी और उसी महीने में विनीता की सास का भी निधन हुआ। कोरोना का क़हर !
पुरानी यादें । डाक्टर चोथानी और उनकी “त्रिमूर्ति” डाक्टर माधवन, डाक्टर मित्तल और डाक्टर एस एन सिंह ने आणंद पद्धति की दूध उत्पादक सहकारी संस्थाओं को सारे देश में स्थापित करने और सशक्त करने में सत्तर और अस्सी के दशक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें से दो डाक्टर माधवन और डाक्टर मित्तल तो आपरेशन फ्लड के शुरुआती दौर की स्पीयरहेड टीम के लीडर भी रहे ।
अस्सी के दशक में जब एनडीडीबी में लेबर यूनियन और मैनेजमेंट के बीच विवादों, कोर्ट कचहरी का दौर था डाक्टर मित्तल और मुझे मनोनीत किया गया था लेबर यूनियन से बात करके मामले सुलझाने के लिये। डाक्टर मित्तल मृदुभाषी थे कम शब्दों में काफ़ी कुछ कह जाते थे। वैसे लेबर यूनियन वाले हम दोनों की इज़्ज़त भी करते थे पर बातचीत के दौरान जब नोक झोंक होती मुझे ही ज़्यादा बोलना होता था। डाक्टर मित्तल बिगड़ती स्थिति को सँभालने में माहिर थे। हमारे प्रयासों से और लेबर यूनियन के प्रेसिडेंट स्वर्गीय अरविंद पटेल और उनकी टीम से हुई बातचीत से बहुत से मामले अदालत के बाहर समझौता कर सुलटा लिये गये ।उस दौरान हम दोनों ने साथ मिल बहुत काम किया । डाक्टर मित्तल और मै दोनों साथ 1987 में केनेडा / अमरीका भेजे गये थे तीन माह की ट्रेनिंग पर। पुरानी फ़ोटो कहीं पर हैं ढूँढ रहा हूँ । इस यात्रा के दौरान हम एक कमरे में रहते थे । बहुत से सेमिनारो, ट्रेनिंग प्रोग्रामों में भाग लिया और यात्रायें की । विनीता मेरे बेटे राहुल को राखी बांधती थी । फिर हम सब बिखर गये ।
आज ट्विटर पर मुझे विनीता की यह ट्वीट दिखी । बहुत अच्छा लगा ।
नीचे विनीता की मूल अंग्रेज़ी कविता और मेरा हिंदी अनुवाद दिया गया है ।

To forsake your roots,
to drift from place to place
language to language
culture to culture
to bring nothing of your own where you are
except a sorry desire
to be accepted as one of 'them',
is true nakedness.
To be rootless is to be vulnerable
like a sapling deprived of soil
or an unfired clay pot.
It means you always stand apart
from a relaxed conglomerate of people
who laugh and joke about ordinary things
while you shift like an autumn leaf
rustling aimlessly on alien soil.
Unmourned by the tree.
not particularly welcomed by the ground.
Yours is a small lightweight existence
like a bonsai:
flowering and glimmering in the smallest of spaces
on just a spoonful of water.
~ Vinita Agrawal
विनीता की अंग्रेज़ी कविता का हिंदी अनुवाद



छोड अपनी जड़ों को,
भटकना यहाँ से वहाँ
भाषा और संस्कृति का बदलाव
जहां अब हैं, वहाँ अपना कुछ न लाना
सिवाय ग्लानि भरी इच्छाओं के
स्वीकार किया जाना “उनके” जैसा हो कर
वास्तव में नग्न हो जाना है
जडहीन अतिसंवेदनशील हो जाना
बिना मिट्टी की पौध या कच्ची मिट्टी से बने बर्तन की तरह l
साधारण सी चीजों पर भी संतुष्ट
अलग थलग आस पास के मानव समूहों से
जो लगते हैं परिपूर्ण, मगन अपने में
जब कि वह पतझड़ में गिरे पत्ते की तरह उड़ उड़ फिसलता
न आती दया किसी पेड़ को और धरती भी न करती स्वागत जिसका ।
बोंसाई सी छोटी सी जगह पर फलना फूलना और चमकते रहना अंजलि भर पानी में औक़ात है उनकी।
विनीता अपने क्षेत्रों बहु प्रशंसित, सम्मानित कवियित्री है । उसकी वेबसाइट का एड्रेस है https://www.vinitawords.com/
नीचे कुछ स्क्रीन शाट पोस्ट कर रहा हूँ विनीता की वेबसाइट के ।
- This blog is the result of a picture!
- भगत सिंह, बाबा साहेब अंबेडकर और महात्मा गांधी
- The Metaphysics of ONE ; “एक” की तत्त्वमीमांसा
- संदेश
- नागर को अचानक एक पुरानी कविता याद आई
डा॰ नावरे एवं आप के लेखन से बहुत सी अपरिचित बातों का ज्ञान हुआ । एक सुखद अनुभूति हुई ।
That’s a beautiful translation of my poem. Thank you for the engagement with my work. I’m honoured and humbled. – Vinita