एगो कहानी सुनाते हैं, बात तब की है जब हम ओरिजनल काशी वासी थे। एक इंटरव्यू देने गये थे दिल्ली CSIR में, Senior Research Fellow का ।
ससुरा बोर्डे में मार कर दिए, वो इसलिए कि एगो वैज्ञानिक महोदय जो इंटरव्यू ले रहे थे उन्होंने ये कह दिया की लेड को प्लंबम नहीं कहते हैं ।
अब हम अंइंठा गये वहीं पर की कहते ही हैं। ससुरा हमारा इंटरव्यू तुरंते खत्म हो गया और हम वापस चले आए। डिपार्टमेंट से तीन लोग गये थे , हमारा रूममेट, हमारा रिसर्चमेट और हम। जब रिजल्ट आया तो उन दोनों का सलेक्शन हो गया पर हमारा नहीं हुआ था ।
बस हम तीर की तरह निकले कमरे से और जाकर चेतसिंह घाट पर बैठ गये।
मुंह फुलाए नाक से हवा छोड़ते जब चार पांच पुरवा चाय पी चुके बैठे गरियाते हुए तो एक अपूर्व , हजारों में एक सुंदरी लाखों में एक पोज देते आ गयी, एकदम सजी धजी, साथ में प्रोफेशनल फोटोग्राफर लिए ।
उन लोगों वहीं फोटो शूट करना था चेतसिंह घाट पर और हम बैठे थे महल के दरवाजे पर ।
अब वो अपूर्व सुंदरी आईं और अंग्रेजी में बोलीं की हटो यहां से ।
हम तो उस समय बाबा से लड़ने को तैयार थे उनका क्या सुनते , हम बोलें में “ना हटब , अब बोलअ”
बिचारी सुंदरी हैरान परेशान चिल्ला के हमारी शिकायत कर दी फोटोग्राफर से जो नाव पर सवार सवा हाथ का कैमरा लिए इंतजार कर रहे थे । एगो चिल्लाते हुए आया तो चायवा वाला पूछा हमसे , “का कहत हवन स भाय” तो हम बोले की “कहत हौ की हमके पनिया में फेंक दिहें ”
तो चायवा वाला बोला “त सारे के एहर का आवे के जरूरत हौ,कूद जाईत सार नइया से गंगा जी में “
अब भाई साहब जो बवाल मचा उधर, उन्होंने पुलिस को फोन कर दिया और हमने हास्टल में । जो लिहो लिहो हुआ था उस दिन कि सब लाठी खा लिए, फोटोग्राफर का कैमरा भी टूट गया और अपूर्व सुंदरी भी चार लाठी खाकर नाव में बैठ गयी ।
अगले दिन सब बीएचयू भी आए थे फोटो शूट करने, हास्टल वालों ने पहचान लिया जो सब भउजी, भउजी कह के हूट किए की सिक्योरिटी सुपरवाइजर तिवारी जी को आना पड़ा ।
बाद में हमको बुलाया गया तब तक ना सलेक्शन होनें का गुस्सा उतर गया था, लड़कों को चाय समोसा खिलाना पड़ा तब जाकर उधर शांति हुई ।
और सब जाते जाते भी अपूर्व सुंदरी को भउजी का तमगा देकर चले गए !
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