Category Archives: Poetry
खलबली
खलबली अचानक एक दिन मच गई शरीर के तंत्रो मे अजब सी खलबली , हम में से है बडा कौन, इस गंभीर मुद्दे पर अति उग्रता से बहुत बातें चली । सुनो, जीभ बोल पड़ी, “मैं सब से बडी” , “बिना स्वाद सब एक नमकीन हो या रबड़ी”, अन्न नली ने कहा चल हट, तेराContinue reading “खलबली”
MM Patel remembers
अपने
अपने होते कौन है ? कहा जायेगा वह जो हमें अपनायें और जिन्हे हम अपनायें वह हैं अपने। अपनाना क्या है ? हम उन्हीं को अपनाते हैं जिनसे संबंध बन जाये और बने रहें । चाहे घर परिवार के सदस्य, मित्र, अकिंचन अहेतुक जीवन यात्रा में मिल कर साथ चलने फिर भले ही बिछड़ जानेContinue reading “अपने”
A matter of height
I read this poem by Dr Pradip Khandwala on Facebook. I have attempted a translation in Hindi. I am posting on Vrikshamandir with his permission. डाक्टर प्रदीप खांडवाला की यह मैंने कविता फेसबुक पर पढी और उसका हिंदी में अनुवाद करने का प्रयास किया है, उनकी अनुमति से वृक्षमंदिर पर । A matter of heightContinue reading “A matter of height”