मेरे जैसै अनेक लोग जो डा कुरियन के सान्निध्य मे आए, मेरी समझ के अनुसार, उनका संबन्ध “विक्रमादित्त्य” और “बैताल” की तरह का है। हर बार उस बैताल के चरित्र के एक पहलू को किसी एक पीपल के पेड़ पर टांग कर आते हैं । वही बैताल एक बिल्कुल नये चरित्र में हमारे कन्धे परContinue reading “डाक्टर कुरियन; एक अभिव्यक्ति”