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Stories and Discussions on Human Development, Culture & Tradition | वृक्षमंदिर से कथा, संवाद एवं विमर्श विकास संस्कृति तथा परंपरा पर

Category: वृक्षमंदिर हिंदी मे

  • अनर्गल, आशय, प्रकृति और पाखंड

    कहते हैं , “जहां न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि “ । अर्थपूर्ण यानि सीरियस कविता लिखने वाले कवि ने जो जब लिखा होगा उसका अर्थ कवि के मन में क्या रहा होगा यह मेरे जैसे साधारण मानवी के लिये केवल क़यास का विषय है। अपनी समझ को साझा करने का यह प्रयास मेरे ब्लाग…

  • घर रहेंगे, हमीं उनमें रह न पाएँगे

    घर रहेंगे, हमीं उनमें रह न पाएँगे,समय होगा, हम अचानक बीत जाएँगे।*अनर्गल ज़िंदगी ढोते किसी दिन हम,एक आशय तक पहुँच सहसा बहुत थक जाएँगे। मृत्यु होगी खड़ी सम्मुख राह रोके,हम जगेंगे यह विविधता, स्वप्न, खो के।और चलते भीड़ में कंधे रगड़ कर हम,अचानक जा रहे होंगे कहीं सदियों अलग होके। प्रकृति और पाखंड के ये…

  • Book Review by Dr Chiranjeev Kohli -2 AN ADMIRABLE POINT by Florence Hazrat

    Dr. Chiranjeev Kohli Dr Kohli is a graduate in Mechanical Engineering from Delhi College of Engineering, an MBA from IIM Ahmedabad, and holds a PhD from Indiana University. He is currently a professor of Marketing at California State University, Fullerton, where he has been teaching since 1992. Besides his academic pursuits and teaching, he loves…

  • गाय, गोबर और “गोल्ड”

    रश्मि कांत नागर गाय, गोबर और “गोल्ड” एक जून को शैलेंद्र ने एक वीडियो साझा किया। इस वीडियो में एक वैज्ञानिक डॉ सत्य प्रकाश वर्मा गाय/ भैंस के गोबर से प्राप्त उन दो उत्पादों के बारे में (२४-२८ मई के दौरान राजकोट हुए किसी मेले में) जानकारी दे रहे है, जिसमे एक किलो गोबर से…

  • क ख ग घ

    क से कबूतर, क से कमल, क से किताब बात उस जमाने की है जब मुझे केवल बोलना आता था । पढ़ना लिखना नहीं। ज़ाहिर है उम्र तब बहुत कम थी । अब यह सब बताने की क्या ज़रूरत ? जीवन के संध्याकाल में जब अक्सर यादें भी याद आ कर भूलने लगती हों तब…

  • संगीत ऐसा भी है, जो मिट्टी गाए

    अक्तूबर२०२२ के बाद डाक्टर मुकुंद नवरे से मई २०२३ मे पुनः संपर्क स्थापित हुआ। उनके जन्मदिन पर फ़ोन पर बातचीत भी हुई। मेरी उम्र के लोगों की बातों मे सलाम दुआ, एक दूसरे के स्वास्थ्य आदि की बातों के बाद ज़्यादा समय बीते दिनों की बातें करने में बीतता है। जो बीत गया उसे बयान…

  • आस्तिक नास्तिक; अंत के बाद का अंतहीन विवाद

    अंत के बाद के अंतहीन विवाद समस्याओं से सामना होने पर मेरे गाँव “चतुर बंदुआरी” के छोटकू काका यदि आज हमारे बीच होते तो शायद कहते “ अरे बाबू बहुतै बादरेसन है बायुमंडल मे” ! भगवद्गीता भगवद्गीता के अनुसार आत्मा कभी नहीं मरती और इसे काटा, सुखाया, जलाया या गीला नहीं किया जासकता । गरुण…

  • मेरा अमरोहा का दोस्त और उसकी फ़नकारी

    मैंने एक अमरोहवी दोस्त को लिखा, पेशे ख़िदमत है जौन एलिया का एक शेर, मै भी बहुत अजीब हूँ, इतना अजीब हूँ कि बस खुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं” ग़ौरतलब हो कि “जौन” अमरोहा के बड़े ऐसे घराने से थे जिसने कई पुश्तों तक अदब, शायरी, फ़िल्मों आदि में अपने योगदान…

  • चिंता, आशा, ममता और मैं

    A couple of days ago, my dear friend and former colleague, Dr SC Malhotra, sent me a whatsapp message forwarding a video clip. He has done many audio stories for Vrikshamandir which can be accessed here. Dr Malhotra is a prolific commentator on blogs that are posted on Vrikshamandir. His text message forwarding the video…

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