Category Archives: वृक्षमंदिर हिंदी मे
अपूर्व सुंदरी
एगो कहानी सुनाते हैं, बात तब की है जब हम ओरिजनल काशी वासी थे। एक इंटरव्यू देने गये थे दिल्ली CSIR में, Senior Research Fellow का । ससुरा बोर्डे में मार कर दिए, वो इसलिए कि एगो वैज्ञानिक महोदय जो इंटरव्यू ले रहे थे उन्होंने ये कह दिया की लेड को प्लंबम नहीं कहते हैंContinue reading “अपूर्व सुंदरी”
क ख ग घ
क से कबूतर, क से कमल, क से किताब बात उस जमाने की है जब मुझे केवल बोलना आता था । पढ़ना लिखना नहीं। ज़ाहिर है उम्र तब बहुत कम थी । अब यह सब बताने की क्या ज़रूरत ? जीवन के संध्याकाल में जब अक्सर यादें भी याद आ कर भूलने लगती हों तबContinue reading “क ख ग घ”
अपने
अपने होते कौन है ? कहा जायेगा वह जो हमें अपनायें और जिन्हे हम अपनायें वह हैं अपने। अपनाना क्या है ? हम उन्हीं को अपनाते हैं जिनसे संबंध बन जाये और बने रहें । चाहे घर परिवार के सदस्य, मित्र, अकिंचन अहेतुक जीवन यात्रा में मिल कर साथ चलने फिर भले ही बिछड़ जानेContinue reading “अपने”
अजब ग़ज़ब दुनिया आफिस और आफिस के बाबुओं की
आपने लाख दक्षिण के मंदिर और उत्तर की देव प्रतिमाएं देख डाली हो; हज़ार महलों, मकबरों, मीनारों और अजायबघरों के चक्कर काटे हों, या मुंबई की चौपाटी; दिल्ली के चाँदनी चौक या आगरे के ताजमहल को देखा हो; लेकिन अगर आपने एक बार भी दफ्तर की दुनिया की सैर नहीं की तो समझिये कि आपकाContinue reading “अजब ग़ज़ब दुनिया आफिस और आफिस के बाबुओं की”
जीवन क्षणभंगुर पर अंतहीन !
आज प्रात: भ्रमण पर पत्थरों के बीच यह पौधा दिखाई दिया । फ़ोटो लेने का मन कर गया । पतझड़ में पत्तियाँ लाल हो गई हैं । कुछ दिन बाद गिर जायेगी । फिर बर्फ़ में दब कर वसंत आने पर हरी पत्तियाँ आयेंगी । परिवर्तन और संघर्ष जिजीविषा ..जीवन क्षणभंगुर पर अंतहीन ! कुछContinue reading “जीवन क्षणभंगुर पर अंतहीन ! “
कथा, एक मित्र के ब्याह की भाग १ और २
कथा, एक मित्र के ब्याह की भाग -१ सुप्रसिद्ध अंग्रेज़ी नाट्यकार जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने कहा था की, “हर बुद्धिमान महिला को जितनी जल्दी हो सके शादी कर लेनी चाहिये और हर एक बुद्धिमान पुरुष को शादी में जितनी देर हो सके उतनी देर करनी चाहिये”। हमारा मित्र उनके इस कथन से बहुत प्रभावित था। मुझे नहीं पता की जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने स्वयं अपने इसContinue reading “कथा, एक मित्र के ब्याह की भाग १ और २”
जिंदगी का समंदर
अनुभूति – 5
पिछले दो पोस्ट बिल्कुल व्यक्तिगत अनुभूतियां हैं जो मुझे अंदर से झकझोरती रही है, उसी परिभाषा के शोध की यह अगली कड़ी है। मै हरिद्वार के जिस धर्मशाला में हूं, उसमे करीब तीन सौ आदमियों के रहने की व्यवस्था है। पिछले साल का 20 मार्च का दिन। हमारे साथ करीब दो सौ यात्री। और लाकContinue reading “अनुभूति – 5”
अनुभूति-2
अनुभूति- 3
ट्विटर, फ़ेसबुक और व्हाट्सएप विश्वविद्यालय से साभार
ठीक ही कहा है आजकल बुढ़ापा झेल रहे मानव को फ़ेसबुक और व्हाट्सएप भी बड़ा सहारा देते हैं । कुछ समय ट्विटर पर भी निकला जा सकता है। टीवी पर समाचार देखना बहुत कम हो गया क्योंकि समाचार नहीं एंकरों के सदविचार और दुर्विचार ही देखने को मिलते हैं । परिवार और मित्र कोई यहाँContinue reading “ट्विटर, फ़ेसबुक और व्हाट्सएप विश्वविद्यालय से साभार”