अखाडा से ज्ञान सिंह व्यायामशाला तक का सफ़र

चतुर बंदुआरी गोरखपुर ज्ञान सिंह व्यायामशाला

श्री दिनेश सिंह का गोरखपुर से स्पोर्ट्स विशेषकर पहलवानी के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है सामाजिक कार्यों और व्यवसाय से भी जुड़े रहे हैं गोरखपुर शहर मे सिनेमन रेस्टोरेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर है। अखाडा से ज्ञान सिंह व्यायामशाला तक का सफ़र उन्हीं के शब्दों में

पिपरेतर के बाबू लोगों के पुराने क़िस्सों में जिन बातों का ज़िक्र अक्सर अब भी होता है वह हैं पुरखे, पीपल का पेड़ और चतुर बंदुआरी का अखाड़ा।

पीपल का पुराना पेड़ कट गया, नीम का पेड़ लगा वह भी कट गया, फिर मेरे बड़े भाई जिन्हें हम सब मुन्ना बाबू कहते थे की बरसी पर एक पीपल का पेड़ लगाया गया।

रही बात अखाड़े की। अखाड़ा अब “ज्ञान सिंह व्यायामशाला” के नाम से जाना जाता है ।

उस अखाड़े का मै पूर्व अभ्यर्थी था और परिवार के प्रतिनिधि के तौर पर मैं आज कल व्यायामशाला की व्यवस्था भी देख रहा हूँ । आज बात होगी अखाड़े की जो ज्ञान सिंह व्यायामशाला बन गया ।

जब मैंने होश सम्भाला सुना था कि कि हमारे पिताजी को कुश्ती सिखाने और कसरत कराने के लिए एक “नेटुआ” आता था । बंदुआरी के अखाड़े की नींव भी तब ही पडी थी । दरअसल नेटुआ एक जाति विशेष है जो शारीरिक व्यायाम के बड़े जानकार होते थे और जो उस वक्त उनका पेशा हुआ करता था । उनमें से अधिकांश मे ईश्वर प्रदत्त जिमनास्ट होने की क्षमता पाई जाती है।

मेरे पिता के बाद व्यायाम और पहलवानी की परंपरा को आगे बढ़ाया मेरे बड़े भाई छोटकाबाबू ( ज्ञान सिंह) ने । मेरे बचपन मे ही उनकी धाक क्षेत्र के एक जाने माने पहलवान की बन चुकी थी । पर जब मैं गांव के स्कूल में पढ़ रहा था, अखाड़े पर कोई नियमित अभ्यास करने वाला भी नहीं होता था । छोटका बाबू उन दिनों ज़्यादातर गोरखपुर में पक्कीबाग अखाड़े पर जोर करते थे।

छोटकाबाबू हमारे पिताजी के बड़े भाई के तीन लड़कों में सबसे छोटे थे। हमारा संयुक्त परिवार था ।हमारे पिताजी को लोग काका कहते थे ।पिताजी के बड़े भाई को घर और गाँव में सब लोग भइया कहते थे । भइआ के बडे लड़के को बाबूजी के और उनके बाद वाले को मझिलका बाबू । शैलेन्द्र जी बाबूजी के लड़के है और बाबूजी के छोटे भाई को दादा कहते थे। हम भी दादा कहते थे मझिलका बाबू को और उनके छोटे भाई को छोटकाबाबू ।

मेरे से बड़े भाई थे मुन्ना बाबू। सबके मुन्ना बाबू। अरविंद सुरेश मेरे छोटे भाई । बस दो दीदियाँ थी। सावित्री दीदी जो सिर्फ़ दीदी और बिंदू दीदी । शैलेन्द् मुझसे उम्र में बड़े पर पद में छोटे है । मैं उन्हें शैल बाबू या अब तो सिर्फ़ बाबू ही कहता हूँ । बस सिर्फ यही रिश्ते हम सब जानते थे । फिर मेरी भतीजियाँ जो छोटी बहनों जैसी हैं ।

जब छोटकाबाबू घर होते थे तो हमलोगों को कभी कउडिया मिलान कभी कबड्डी कभी चिक्का खिलाते थे । उनके प्रभाव से ही कालांतर में मेरा परिचय कसरत और पहलवानी की दुनिया से हुआ।

समय बीतता गया और जिस समय मैंने हाईस्कूल कि परीक्षा दी उसके बाद छोटका बाबू ( (ज्ञान सिंह) ने हमारा कसरत और कुश्ती के अभ्यास का समय बढा दिया। बडे से फावडे से अखाड़ा कई बार गोडना भी हमारे कसरत का अंग था ।

सुबह 3 बजे से शुरू होकर 8 बजे तक और शाम 4 बजे से 6/7 बजे तक हमारा समय हमारे अखाड़े में बीतता था समय चलता रहा और हम लोग समय के साथ चलते रहे ।

वर्ष 1970 में मै नेशनल चैम्पियन बना 1971 में टोक्यो, जापान मे देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला उसके साथ ही हम गाॅव से शहर आ गये प्रैक्टिस के लिए कभी कैम्प में कभी गोरखपुर के पक्कीबाग अखाड़े पर जोर करते थे और कभी कभी गाॅव पर भी आते थे लेकिन गाॅव का अखाड़ा चलता रहा और छोटकाबाबू रोज सुबह अखाड़े पर जाते और उनकी निगरानी मे 5/6 किलोमीटर से बच्चे आते थे और गुरु जी से कुश्ती के गुर सीखते थे । वर्ष 2011 में छोटकाबाबू के निधन के बाद अखाड़ा भी सूना पड गया और उस तरफ ध्यान देने वाला न तो पिपरे तर के बाबू के परिवार से न ही गाॅव से कोई व्यक्ति ऐसा था जो स्वास्थ और चरित्र निर्माण के इस केन्द्र पर अपना समय जाया करने की सोचता । मै भी कुश्ती से संन्यास ले कर घर गृहस्थी में ध्यान केन्द्रित कर चुका था ।

गांव जाते तो सूनापन लेकर वापस आ जाता कभी यह सोच नहीं बन पाती कि गाॅव पर भी कुछ करना चाहिए । हमारा संसदीय क्षेत्र गोरखपुर सदर है उस वक्त वहां से सांसद परम पूज्य श्री योगी आदित्य नाथ जी थे वह जब भी उधर जाते थे तो हमें अखाड़े पर ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित करते थे और मिट्टी के अखाड़ा के साथ ही कहते थे कि हमसे गद्दा ले लीजिए लेकिन मै भी अपनी अन्य व्यस्तता के नाते समय नहीँ दे पाता था और इस अखाड़े को पुनर्जीवित करने की सोच न पाता था।

वर्ष 2017 में एक दिन मै अखाड़े की तरफ गया और यह देखकर की हमारा अखाड़ा गन्दगी से भरा पड़ा है और कुत्ते गाय उसे अपना आराम गाह बनाए हैं मन बहुत व्यथित हुआ हमने निर्णय लिया कि कम से कम इसे साफ सुथरा तो रक्खा जाय।

हमने कुछ मजदूर रख कर उस जगह की सफाई करवाकर अखाड़ा की मिट्टी भी खुदवाकर बाहर निकालकर नई मिट्टी डाल कर अखाड़ा को साफ सुथरा किया अब उसे फिर से शुरू करनें की बडी जिम्मेदारी थी।

सर्व प्रथम हम ने अखाड़े का नामकरण ‘ ज्ञान सिंह व्यायामशाला,” किया और फिर वहां अभ्यास करने के लिए छात्रों को ढूंढना शुरू किया । लेकिन यह एक दुरूह कार्य था क्यो कि गाॅव और आस पास के बच्चे बल्ला लेकर और किसी खाली जगह विकेट गाड़ कर क्रिकेट खेलते ही दिखते थे । उन लड़को को उनके मनोरंजन की दुनिया से निकाल कर कड़ी मेहनत, अनुशासित जीवन,चाट चटोरी की आदत छोड़ कर कुश्ती का अभ्यास करने के लिए प्रेरित करना मुश्किल लग रहा था और प्रयास करने पर भी उचित प्रतिफल नहीं मिल रहा था ।

हमने एक युक्ति निकाली अखाड़े से ही निकले एक लड़के श्यामपाल को कहा कि तुम आजकल कसरत मेहनत नहीं कर रहे हो तुम रोज सुबह अखाड़े पर आवो और यहीं कसरत मेहनत किया करो साथ ही साथ अखाड़े की साफ सफाई का भी ध्यान भी रखा करो। श्यामपाल रोज सुबह अखाड़ा पर आने लगा और फिर क्या कुछ दिनों में ही वहां आने वालों की संख्या भी बढने लगी।

उसी साल हमने वहां पर स्व ज्ञान सिंह के स्मृति में एक कुश्ती का प्रतियोगिता कराने का निर्णय लिया । मै विगत कई वर्षों से उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ का उपाध्यक्ष भी हूँ ।

मैने उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष श्री बृज भूषण शरण सिंह जो भारतीय कुश्ती संघ के भी अध्यक्ष हैं से बात कर विभिन्न भारवर्ग में ‘उत्तर प्रदेश केशरी ‘ प्रतियोगिता का आयोजन करवाने का संकल्प लिया ।

मैंने इस आयोजन के बारे में माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्य नाथ जी को बताया तो उन्होंने सहज ही कार्यक्रम में आने की सहमति दे दी ।

मुख्यमंत्री श्री के आने से काफी बडा और सफल आयोजन हो गया इस क्षेत्र में बहुत दिनों से कुश्ती का कोई आयोजन नहीं हुआ था इसलिए जनता भी बहुत उत्साहित थी बड़ी जबरदस्त भीड़ हुई । माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपने संबोधन में यहाँ Centre for Excellence in Wrestling बनाने के लिए कहा l अभी उस दिशा में प्रयास चल रहा है ।

आज इस व्यायामशाला पर करीब 100 से ऊपर लड़के और 20 लड़कियां नियमित अभ्यास के लिए आते हैं । स्थानीय विधायक श्री शीतल पान्डे जी के सहयोग से आधुनिक गददा भी आ गया है और श्यामपाल भी उत्साहित है अब गुरु बन गये है ।

वंदना यादव और विनय पासवान

विगत दिनों स्कूली कुश्ती प्रतियोगिता में हमारे व्यायामशाला से 13 लड़के और लड़कियाँ मंडल से प्रदेश में प्रतिभाग किये थे । अभी दिसम्बर 2019 में नोएडा गाजियाबाद में जूनियर स्टेट कुश्ती चैम्पियनशिप प्रतियोगिता सम्पन्न हुयी है उस प्रतियोगिता में इस व्यायामशाला के विनय पासवान को 45 kg भारवर्ग मे गोल्ड मेडल और वंदना यादव को को 42 kg भारवर्ग में ब्रांज मेडल मिला है

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