दिव्य कृपा

यह कहानी जिसे मैं अपनी मां से बचपन मे सुना करता था आज भी याद है! मैंने ये कहानी उनसे पहली बार उस समय सुनी थी, जब मैं कोई पाँच साल का था। उसके बाद ये सिलसिला कोई चार-पाँच वर्ष और चला होगा। पर इस कहानी के बारे में विशेषता ये है, की मैंने ये कहानी हर बार गहरीContinue reading “दिव्य कृपा”

Loading

हमारी जीजी

मेरी माँ को हमने बचपन से इसी नाम से जाना। १९११ में जन्म और २००८ में देवलोक के बीच की भूलोक की उनकी यात्रा ने संघर्ष ही अधिक देखे। ईश्वर में असीमित आस्था और अपने गुरु- जिन्हें उसने ८-९ वर्ष की उम्र के बाद कभी नहीं देखा, की कृपा में अटूट विश्वास ने उन्हें आध्यात्मिकताContinue reading “हमारी जीजी”

Loading

विकसवा है कहां ? यहां है पर है भी नहीं !

मानव सभ्यता के कुछ बुद्धिजीवी विशेषज्ञों का मानना है कि ”विकास” का पृथ्वी पर अवतरण सर्वप्रथम जंबूद्वीप के भारत खंड मे हुआ था। चूँकि बुद्विजीवी विशेषज्ञों का एक मत होना लगभग असंभव सा है, स्वाभाविक है कि बहुत से बुद्विजीवी विशेषज्ञ ऐसा नहीं मानते। उनके अनुसार, विकास सबसे पहले अफ़्रीकी-भू भाग में अवतरित हुआ औरContinue reading “विकसवा है कहां ? यहां है पर है भी नहीं !”

Loading

Anubhav; the experience

Dr Mukund Naware has worked for more than forty years in the field of dairying. He has been associated with a number of premier institutions in the dairy sector such as BAIF / NDDB/ Mother Dairy Delhi / Mahanand /Jalgaon Milk Union and Dynamix. Thus he has been exposed to work culture of organizations inContinue reading “Anubhav; the experience”

Loading

JB and his Vrikshamandir

Saw this on WhatsApp and was reminded of my father. The first one from his village to go out for higher education, to attend college and university, to work for the government, to travel abroad, etc etc. He specialised in Agricultural Economics and Farm Management because he felt that such knowledge would of immense valueContinue reading “JB and his Vrikshamandir”

Loading

कहानी – मेरी, आपकी 🤝हमारी

शायद पहली लाइन पढ़ते ही आप को ऐसा लगे जैसे इस क़िस्से के नायक आप स्वयं हैं ! बचपन में स्कूल के दिनों में क्लास के दौरान शिक्षक द्वारा पेन माँगते ही हम बच्चों के बीच राकेट गति से गिरते पड़ते सबसे पहले उनकी टेबल तक पहुँच कर पेन देने की अघोषित प्रतियोगिता होती थी।Continue reading “कहानी – मेरी, आपकी 🤝हमारी”

Loading

Poverty and Public Distribution System; Part – I

Nagar had sent this article to me several months ago. Of late, I have not been paying much attention to Vrikshamandir. Since the beginning of this year, I have had some health issues. Now that the situation is fast normalising, I thought, what better way to start regular posting on Vrikshamandir than posting this fromContinue reading “Poverty and Public Distribution System; Part – I”

Loading

कुछ इधर की कुछ उधर की कुछ फिरकी

यह लेख अपने आप मे एक लेख नही वरन एक पत्र से निकली सूझ का नतीजा है । पत्र तो लिखा गया। जिसको भेजना था उन्हे भेज भी दिया गया । पर मन मे यह विचार उठा क्यो न उस पत्र को एक लेख मे परिवर्तित किया जाय। जिन आदरणीय महाशय को वह पत्र लिखाContinue reading “कुछ इधर की कुछ उधर की कुछ फिरकी”

Loading

कहानी पुरानी लकड़हारे की, संदर्भ नया रश्मिकांत नागर द्वारा !

लकड़हारे की यह पुरानी कहानी तो आपने अवश्य सुनी या पढ़ी होगी। जंगल में गहरी नदी किनारे लकड़ी काटते समय हाथ से फिसल कर उसकी कुल्हाड़ी नदी में जा गिरी। जीवन यापन का एकमात्र साधन खोने से दुःखी लकड़हारा गहन चिंता में डूब कर जब रोने लगा तब उसके सामने जलदेवी प्रकट हुई, उसे पहले सोने, फिर चाँदी की कुल्हाड़ियों का प्रलोभन दिया और अंत में, लकड़हारे की ईमानदारी से प्रसन्न होकर, उसकी लोहे की कुल्हाड़ी के साथ सोने चाँदी की कुल्हाड़ियों का पुरस्कार देकर उसे हमेशा के लिए दरिद्रता से बाहर निकाल दिया। लकड़हारे ने अपना शेष सम्पन्न जीवन, सपरिवार संतोष से जिया।

Loading